मेरी माँ मेरी सबसे बड़ी अध्यापक है, करुणा, प्रेम, निर्भयता की एक शिक्षक।
अगर प्यार एक फूल के जितना मीठा है,
तो मेरी माँ प्यार का मीठा फूल है।
मेरे जज्बात कहते हैं कि तू मेरा मुकद्दर है।
मैं सांसों में हूं तेरे तू मेरे दिल के अंदर है।
खुदा से फरियाद करता हूं जुदा हमको नहीं करना
अगर हो जायेगा ऐसा तो जिंदगी ही बत्तर है।
बड़े बारीक रिश्ते हैं ये मेरी मोहब्बत के
मैं जाली का कुरता हूं और वो मेरा अस्तर है।
नज़रों में वो मेरी कोई तो मकाम रखते हैं।
खुद को दरिया मैं समझूगा मगर वो तो समंदर है।
माना कि नहीं होगा अपना कोई ताजमहल
मोहब्बत जहां लिखा होगा समझना वो मेरा घर है।
यही उम्मीद करते हैं खुदा अपनी भी सुन लेगा
वो ही तो साथ है अपने उसी की ही बस नज़र है।
अगर हम साथ चलते हैं तो आदतें भी मिलती हैं।
मुझे सहने की आदत है इसे समझने का सबर है।
मोहब्बत दिल का रिश्ता है अगर समझो तो इबादत है।
खुद ही में खो गये इतने ज़माने का कहा डर है।