मैं चाहता हूँ मैं तेरी… हर साँस में मिलूँ,
परछाईयों में, धूप में, बरसात में मिलूँ।
कोई खुदा के दर पे मुझे ढूंढ़ता फिरे,
मैं भी किसी को प्यार की सौगात में मिलूँ।
तड़पे हजारों दिल मगर हासिल न मैं हुआ,
तू चाहता है मैं तुझे यूँ ही खैरात में मिलूँ।
मैं चाहता हूँ मैं तेरी… हर साँस में मिलूँ,
परछाईयों में, धूप में, बरसात में मिलूँ।
कोई खुदा के दर पे मुझे ढूंढ़ता फिरे,
मैं भी किसी को प्यार की सौगात में मिलूँ।
तड़पे हजारों दिल मगर हासिल न मैं हुआ,
तू चाहता है मैं तुझे यूँ ही खैरात में मिलूँ।
Hum samandar hai hamen khamoosh rahne do
zara machal gaye to shahar le doobengey
हम समंदर है हमें खामोश रहने दो
ज़रा मचल गए तो शहर ले डूबेंगे
वहम से भी अक्सर खत्म हो जाते हैं कुछ रिश्ते
कसूर हर बार गल्तियों का नही होता
vaham se bhi aksar khatm ho jaate hain kuchh rishte
kasoor har baar galtiyon ka nahee hota